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वाराणसी:भूमाफिया की कमर तोड़ने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार प्रयास कर रहे हैं. सीएम योगी के निर्देश पर ऐसे लोगों पर कार्रवाई तेजी से की जा रही है, जो सरकारी जमीनों पर लंबे वक्त से कब्जा करके बैठे हैं. इसी कड़ी में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में भी जमीनों पर कब्जा किए लोगों पर नगर निगम कार्रवाई कर रहा है. 3 महीने में नगर निगम ने 500 बीघा से ज्यादा जमीन को अपने कब्जे में लिया है. जबकि 1200 बीघा से ज्यादा ऐसी सरकारी भूमि को चिन्हित किया है. इन पर बीते कई सालों से लोगों ने कब्जा करके रखा था. नगर निगम का यह दावा है कि 50 लाख रुपये बिस्वा के हिसाब से इन जमीनों की कीमत 500 करोड रुपये से भी ज्यादा है. अब इन कब्जामुक्त सरकारी जमीनों का इस्तेमाल पब्लिक हित में होने जा रहा है.

वाराणसी:भूमाफिया की कमर तोड़ने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार प्रयास कर रहे हैं. सीएम योगी के निर्देश पर ऐसे लोगों पर कार्रवाई तेजी से की जा रही है, जो सरकारी जमीनों पर लंबे वक्त से कब्जा करके बैठे हैं. इसी कड़ी में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में भी जमीनों पर कब्जा किए लोगों पर नगर निगम कार्रवाई कर रहा है. 3 महीने में नगर निगम ने 500 बीघा से ज्यादा जमीन को अपने कब्जे में लिया है. जबकि 1200 बीघा से ज्यादा ऐसी सरकारी भूमि को चिन्हित किया है. इन पर बीते कई सालों से लोगों ने कब्जा करके रखा था. नगर निगम का यह दावा है कि 50 लाख रुपये बिस्वा के हिसाब से इन जमीनों की कीमत 500 करोड रुपये से भी ज्यादा है. अब इन कब्जामुक्त सरकारी जमीनों का इस्तेमाल पब्लिक हित में होने जा रहा है.

वाराणसी:भूमाफिया की कमर तोड़ने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार प्रयास कर रहे हैं. सीएम योगी के निर्देश पर ऐसे लोगों पर कार्रवाई तेजी से की जा रही है, जो सरकारी जमीनों पर लंबे वक्त से कब्जा करके बैठे हैं. इसी कड़ी में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में भी जमीनों पर कब्जा किए लोगों पर नगर निगम कार्रवाई कर रहा है. 3 महीने में नगर निगम ने 500 बीघा से ज्यादा जमीन को अपने कब्जे में लिया है. जबकि 1200 बीघा से ज्यादा ऐसी सरकारी भूमि को चिन्हित किया है. इन पर बीते कई सालों से लोगों ने कब्जा करके रखा था. नगर निगम का यह दावा है कि 50 लाख रुपये बिस्वा के हिसाब से इन जमीनों की कीमत 500 करोड रुपये से भी ज्यादा है. अब इन कब्जामुक्त सरकारी जमीनों का इस्तेमाल पब्लिक हित में होने जा रहा है.79 गांवों में 800 बीघे जमीन पर था कब्जाःसंदीप श्रीवास्तव ने बताया कि नगर निगम पिछले दिनों शहरी सीमा में शामिल किए गए 86 गांव का सर्वे करवा रहा था. इस सर्वे के दौरान लगभग 79 गांव ऐसे मिले हैं, जहां पर 800 बीघा सरकारी जमीनों पर कब्जा था. लंबे वक्त से ग्राम सभाओं का वर्चस्व होने के कारण लोगों ने मनमाने तरीके से इस पर अपना कब्जा करके रखा था. इस सर्वे के बाद नगर निगम में इन जमीनों की सूची तैयार कर ली है.1200 बीघा जमीन चिन्हितःनगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि नगर निगम अपने लैंड बैंक को मजबूत कर रहा है. 3 महीने के अंदर वाराणसी में ही नगर निगम ने 1200 बीघा से ज्यादा जमीन को चिन्हित किया है. यह वह जमीन है जिस पर लोगों ने कब्जा करके रखा था. इस सरकारी जमीन को नगर निगम ने अपने कब्जे में ले लिया है. 500 बीघा से ज्यादा जमीन पर नगर निगम ने अपना बोर्ड और तारों का घेरा बनवाकर इसे पूरी तरह से अपनी संपत्ति घोषित कर दिया है, जबकि शेष पर काम जारी है.निजी काम में जमीनों का हो रहा था प्रयोगःसंदीप श्रीवास्तव का कहना है कि सरकारी अभिलेख में बहुत सी जमीन नगर निगम की सीमा में होने के बाद भी लोगों ने उसे अपने नाजायज इस्तेमाल में प्रयोग करके रखा था. जिसे अब धीरे-धीरे खाली करवा कर कब्जे में लिया जा रहा है. नगर निगम ने फुलवरिया, कैंट, मालगोदाम, सुसवाही, पिसौर, लालपुर, पहाड़िया और अन्य कई इलाकों में बहुत बड़ी संख्या में जमीनों को अपने कब्जे में लिया है. रामनगर से सटे डोमरी इलाके में 332 बीघा जमीन नगर निगम ने अपने कब्जे में ली है, जो लोगों ने अपने कब्जे में लेकर इसका निजी प्रयोग करना शुरू कर दिया था.नगर निगम और कंपनियों के सीएसआर फंड से होगा विकासःसंदीप श्रीवास्तव ने बताया कि इन जमीनों को अब कब्जे में लेने के बाद इस पर मिनी सदन के जरिए प्रस्ताव पास करके पब्लिक हित में काम करने की तैयारी शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि महापौर ने स्पष्ट किया है कि हर वार्ड में एक बारात घर, एक कम्युनिटी सेंटर, बच्चों के लिए पार्क की व्यवस्था की जाएगी. यह सारा काम नगर निगम अपने और प्राइवेट कंपनियों के सीएसआर फंड के जरिए करेगा. इसके लिए उन जमीनों का सर्वे शुरू किया गया है, जो हाल में खाली करवाई गई है. इसके अलावा शहरी क्षेत्र से सटे इलाकों में कमर्शियल कंपलेक्स और अन्य कमर्शियल एक्टिविटी के लिए भी बाजार इत्यादि बनाने की तैयारी की जा रही है. ताकि इन इलाकों के लोगों को शहर की तरफ आना ना पड़े और उन्हें अपने ही नाव शहरी क्षेत्र में तमाम सुविधाएं मिल सके.

 

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